भोपाल गैस त्रासदी: एक अनसुनी कहानी



1984 के दिसंबर के 2 और 3 की रात को भोपाल के एक कीटनाशक कारखाने से एक विषैला गैस लीक होने के बाद कम से कम 3,787 लोगों की मौत हो गई और पांच लाख से अधिक लोग शारीरिक रूप से प्रभावित हुए। यह भारत के इतिहास का एक अध्याय है जिसका असर अब भी महसूस किया जाता है।
वह रात भोपाल की आसमानी छतों में एक अजीब सी खुशबू फैल गई थी। लोगों ने इसे ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब सवेरे को उन्हें खुशबू के साथ अजीब सी लकड़ी जैसी चीज़ की खोज करने की आवश्यकता हुई, तो वे बहुत ही डर गए। गाड़ी में बैठकर जब वे कारखाने की ओर जा रहे थे, तो वे देख चुके थे कि वहाँ विचारशीलता की एक आग की लौ उठ रही थी।

भोपाल गैस त्रासदी के बाद भोपाल के इस इतिहास की अविस्मरणीय घटना का जिक्र करते हुए, हमें सावधान रहने की जरूरत है। इस घटना की याद दिलाते हुए, हमें अपनी और अपने आसपास की सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए। इसके साथ ही, सरकार को भी ऐसे कारखानों की जांच और पर्यावरण के मानकों का पालन करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

भोपाल गैस त्रासदी का इतिहास हमें यह सिखाता है कि हमें पर्यावरणीय संवेदनशीलता की ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इससे हम ऐसे घातक प्रदूषण के खिलाफ लड़ सकते हैं और एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

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