ताती वाओ ना लगई पार बह्म शरणाई, चौ गिर्द हमारे राम का दुख लगे ना भाई,"राम नाम की शक्ति: हर संकट का समाधान"
ताती वाओ ना लगई पार बह्म शरणाई, चौ गिर्द हमारे राम का दुख लगे ना भाई,
सतगुरु पूरा पेटेया, जिन बढत बड़ाई, राम नाम औ-खद दिया, ए का लिव लाई, तात्ति वाओ ना लगई पार् बह्म......
राख लिए तीन रखनहार, सब ब्याध मिटाई, कहो नानक किरपा पई,प्रभ पै सहाई, तात्ति वाओ ना लगई........
ये शबद गुरु अर्जन देव जी द्वारा रचित है, जो कि सुखमनी साहिब का हिस्सा है। इसमें जीवन में आने वाली कठिनाइयों, कष्टों और विपत्तियों से बचाव के लिए परमात्मा की शरण में जाने का महत्व बताया गया है। आइए इसे पंक्ति-दर-पंक्ति समझते हैं:
ताति वाओ ना लगई पार ब्रह्म शरणाई
इसका अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति परमात्मा (पार ब्रह्म) की शरण में आ जाता है, तो संसार के दुख-दर्द और विपत्तियां उसे छू भी नहीं सकतीं।
चौ गिर्द हमारे राम का दुख लगे ना भाई
इसका अर्थ है कि मेरे चारों ओर राम (परमात्मा) का सुरक्षा कवच है, जिससे कोई भी दुख मुझे प्रभावित नहीं कर सकता।
सतगुरु पूरा पेटेया, जिन बढत बड़ाई
इसका अर्थ है कि मुझे पूर्ण सतगुरु (सच्चे गुरु) का सानिध्य प्राप्त हुआ है, जिन्होंने मेरे जीवन को ऊंचाई (आध्यात्मिक विकास) दी है।
राम नाम औखद दिया, ए का लिव लाई
इसका अर्थ है कि गुरु ने मुझे 'राम नाम' रूपी औषधि (दवा) दी है, जिसे मेरे मन ने पूरी तरह से अपनाया है। राम नाम ही वह अमृत है जो हर दुख का इलाज है।
राख लिए तीन रखनहार, सब ब्याध मिटाई
इसका अर्थ है कि उस परमात्मा ने मुझे हर प्रकार से सुरक्षित रखा है और मेरे सभी मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक कष्ट समाप्त कर दिए हैं।
कहो नानक किरपा पई, प्रभ पै सहाई
इसका अर्थ है कि गुरु नानक जी कहते हैं कि जब परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है, तो वह स्वयं आकर सहायता करते हैं और हर समस्या का हल कर देते हैं।
भावार्थ:
यह शबद हमें विश्वास दिलाता है कि यदि हम सच्चे मन से परमात्मा का सहारा लें और उनके नाम का सुमिरन करें, तो जीवन की कठिनाइयाँ हमें प्रभावित नहीं कर सकतीं। गुरु का दिया हुआ 'राम नाम' ही वह दवा है जो हर संकट को मिटा देता है।
यह शबद विशेष रूप से आत्मिक शांति, संकटों से रक्षा और परमात्मा के प्रति अटूट विश्वास का प्रतीक है।
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