स्व-चिकित्सा सड़कें: एनएचएआई ने पोथोल्स का सामना करने के लिए कटिंग-एज़ तकनीक का अन्वेषण किया | देखें कैसे काम करता है


भारत की सड़कों का हाल हर किसी को पता है। गर्मियों में तेज धूप, बारिश के दिनों में भीषण तूफान और सर्दियों में ठंड, इन सबका असर सड़कों पर पड़ता है। और जब हम सड़कों की बात करते हैं, तो एक समस्या जो हमें निरंतर परेशान करती है, वह है - पोथोल्स।
पोथोल्स की समस्या को हल करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय आवाजाहीन निगम (एनएचएआई) ने स्व-चिकित्सा सड़कों की तकनीक का अन्वेषण किया है। यह तकनीक एक नवीनतम और कटिंग-एज़ उपाय है जो सड़कों के जीवनकाल को बढ़ा सकता है और नियमित रखरखाव की आवश्यकता को कम कर सकता है।

इस तकनीक का सिद्धांत कुछ इस प्रकार है - सड़कों में एक विशेष पदार्थ डाला जाता है, जो समय के साथ गर्मी और ठंड से रिएक्ट करता है। जब पोथोल्स बनते हैं, तो यह पदार्थ अपनी आपको भरने का काम करता है, जिससे सड़क की स्थिति में सुधार होता है।

इस तकनीक का परीक्षण पहले ही कुछ स्थानों पर किया गया है, और परिणाम अत्यधिक प्रसंसाजनक हैं। यह सड़कों को अधिक स्थायी बनाता है और इससे सड़कों के निरंतर रखरखाव की लागत कम होती है।

स्व-चिकित्सा सड़कें एक नई क्रांति का प्रतीक हो सकती हैं, जो हमारी सड़कों को सुरक्षित और स्थायी बनाने में मदद कर सकती हैं। इस तकनीक के अनुसार बनी सड़कें हमें एक बेहतर और बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकती हैं।

Comments