Published: - 29/august /2024
Jaspal singh
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**जन्माष्टमी - भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा**
जन्माष्टमी, भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो भगवान श्री कृष्ण के दिव्य अवतार की खुशी में मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्त रातभर उपवास रखते हैं, भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कंस द्वारा जेल में कैद माता देवकी और पिता वसुदेव के घर हुआ था। कंस, देवकी के भाई थे और उनकी भविष्यवाणी के अनुसार, देवकी के आठवें पुत्र द्वारा उनका वध होने वाला था। इस भय के कारण कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में बंद कर दिया और उनके सभी बच्चों को मार डाला।
लेकिन भगवान की योजना और उनके भक्तों की भक्ति के आगे कंस की शक्ति विफल हो गई। जब देवकी के आठवें पुत्र के जन्म का समय आया, तो सभी जेल की बंदूकें और ताले स्वचालित रूप से खुल गए और वसुदेव ने नवजात शिशु कृष्ण को सुरक्षित रूप से गोकुल ले जाने के लिए नदी के रास्ते पर चल पड़े। मार्ग में, वसुदेव ने कृष्ण को नंद बाबा और यशोदा माता के घर गोकुल में छोड़ दिया और अपनी पत्नी देवकी को सांत्वना दी।
**कृष्ण का बचपन और लीला**
भगवान कृष्ण का बचपन अद्भुत और चमत्कारी था। वे माखन चोर, गोपालक और बाल लीला के नायक के रूप में प्रसिद्ध हैं। कृष्ण ने अनेक दैत्यों और असुरों का वध किया, और गोकुलवासियों को अनेक संकटों से उबारा। उनकी लीलाएं और चमत्कार भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
**जन्माष्टमी के विशेष अनुष्ठान**
जन्माष्टमी के दिन, भक्त विशेष रूप से रात्रि को व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। पूजा के बाद 'अभिषेक' और 'आरती' का आयोजन किया जाता है। भगवान कृष्ण के जन्म की रात का वातावरण भक्तिरस और भक्ति से भरपूर होता है। इस दिन विशेष रूप से भजन, कीर्तन और धार्मिक कथा का आयोजन भी होता है।
**निष्कर्ष**
जन्माष्टमी केवल भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देती है। यह त्यौहार भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन, हम सभी भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं और लीलाओं से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को संपूर्ण और पूर्ण बनाएं।
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