पीओके था, है और रहेगा भारत का हिस्सा: विदेश मंत्री एस जयशंकर



सोमवार को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाक-अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की मंशा पीओके को वापस लाकर भारत के साथ पूरी तरह से एकीकृत करने की है।
एस जयशंकर ने कहा, "अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। एनडीए का मानना है कि कश्मीर का भारत के साथ पूर्ण एकीकरण होना चाहिए। पीओके में कुछ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पीओके था, है और रहेगा भारत का हिस्सा। हमारी मंशा पीओके को वापस लाकर भारत में मिलाने की है।"

### अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण: एक महत्वपूर्ण कदम

अनुच्छेद 370, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देता था, का निरस्तीकरण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। इस कदम के तहत जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। इस निर्णय को सरकार ने कश्मीर को भारत के साथ पूरी तरह से एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

### पीओके की वापसी: सरकार का स्पष्ट रुख

विदेश मंत्री जयशंकर का बयान सरकार के दृढ़ रुख को दर्शाता है कि पीओके को वापस लाना उनकी प्राथमिकता है। यह मुद्दा भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। संसद द्वारा पारित प्रस्ताव भी इस बात की पुष्टि करता है कि पीओके को भारत का हिस्सा माना गया है और रहेगा।

### पीओके में विरोध प्रदर्शन

जयशंकर ने अपने बयान में पीओके में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का भी उल्लेख किया। इन विरोध प्रदर्शनों से यह स्पष्ट होता है कि वहाँ के लोगों में असंतोष है और वे पाकिस्तान के प्रशासन से खुश नहीं हैं। भारत सरकार का मानना है कि पीओके के लोगों को भी भारतीय संविधान और लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहिए।

### निष्कर्ष

विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह बयान भारत की स्थायी और स्पष्ट नीति को रेखांकित करता है कि पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है। सरकार की मंशा इसे वापस लाने और देश के साथ एकीकृत करने की है। यह बयान न केवल भारत की आंतरिक नीति का हिस्सा है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक स्पष्ट संदेश देता है।

भारत की संसद और सरकार दोनों इस मुद्दे पर एकजुट हैं और देशवासियों को भी इस दिशा में सरकार का समर्थन करना चाहिए। पीओके का भारत के साथ पूर्ण एकीकरण केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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