सेंट फ्रांसिस जेवियर का मृत शरीर: एक चमत्कारिक कहानी*



सेंट फ्रांसिस जेवियर, जिन्हें "एपॉस्टल ऑफ़ द इंडीज़" के नाम से भी जाना जाता है, ईसाई धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनका जीवन और कार्य विशेष रूप से भारत, जापान और दक्षिण पूर्व एशिया में ईसाई धर्म के प्रचार के लिए प्रसिद्ध हैं। लेकिन उनके मृत्यु के बाद की कहानी भी उतनी ही अद्भुत और रहस्यमय है।
### सेंट फ्रांसिस जेवियर का जीवन परिचय

सेंट फ्रांसिस जेवियर का जन्म 7 अप्रैल 1506 को स्पेन में हुआ था। वे जेसुइट ऑर्डर के सह-संस्थापक थे और सेंट इग्नेशियस लोयोला के मित्र थे। उन्होंने अपना जीवन ईसाई धर्म के प्रचार के लिए समर्पित कर दिया। फ्रांसिस ने भारत, जापान और मलेशिया में मिशनरी का काम किया और लाखों लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया।

### मृत्यु और अमरत्व

सेंट फ्रांसिस जेवियर की मृत्यु 3 दिसंबर 1552 को चीन के शांगचुआन द्वीप पर हुई थी। उनकी मृत्यु के बाद, उनका शव गोवा लाया गया। यहाँ एक अद्भुत घटना घटी - उनकी मृत्यु के महीनों बाद भी उनका शरीर पूर्णतः सुरक्षित था। इसे "अक्षुण्ण शव" (incorrupt body) कहा गया, और इसे ईश्वरीय चमत्कार माना गया।

### गोवा में सेंट फ्रांसिस जेवियर का शव

गोवा में सेंट फ्रांसिस जेवियर का शव बॉम जीसस बेसिलिका में सुरक्षित रखा गया है। इस चर्च को विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त है। हर दस साल में, उनके शव को जनता के दर्शन के लिए प्रदर्शित किया जाता है। यह अवसर लाखों श्रद्धालुओं को गोवा आकर्षित करता है, जो इस पवित्र अवशेष को देखने के लिए आते हैं।

### शव का चमत्कारिक स्वरूप

सेंट फ्रांसिस जेवियर के शव का सुरक्षित रहना एक रहस्य और चमत्कार के रूप में देखा जाता है। वैज्ञानिक और चिकित्सक इस बात की जांच कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई निश्चित उत्तर नहीं मिल पाया है कि उनका शरीर इतने लंबे समय तक कैसे सुरक्षित रहा। कुछ लोग इसे उनकी पवित्रता और ईश्वर की कृपा का प्रमाण मानते हैं।

### श्रद्धालुओं की आस्था

सेंट फ्रांसिस जेवियर का शव न केवल ईसाई समुदाय के लिए बल्कि विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र है। यहां आने वाले श्रद्धालु विभिन्न मन्नतें मांगते हैं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को धन्य मानते हैं। यह स्थान आज भी गोवा का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटक आकर्षण है।

### निष्कर्ष

सेंट फ्रांसिस जेवियर का जीवन और उनका शव एक अद्भुत कथा है जो आज भी लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। उनका शव हमें न केवल ईश्वर के चमत्कारों की याद दिलाता है, बल्कि उनके द्वारा किए गए महान कार्यों की प्रेरणा भी देता है। गोवा में स्थित बॉम जीसस बेसिलिका में उनका शव सदियों से सुरक्षित रखा गया है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धार्मिक धरोहर बना रहेगा।

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