" सार: "एक ओंकार वाहेगुरु जी की फतेह
यह प्रार्थना (अरदास) सिख धर्म की एक महत्वपूर्ण प्रार्थना है, जिसमें सिखों के गुरुओं और महान योद्धाओं का स्मरण किया जाता है। इस प्रार्थना का मुख्य उद्देश्य है वाहेगुरु से आशीर्वाद और सहायता की याचना करना। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
**ੴ एक ओंकार वाहेगुरू जी की फतेह। श्री भगौती जी सहाय। वार श्री भगौती जी की पातशाही दसवीं।**
यहां एक ओंकार (एक ईश्वर) की महिमा गाई जाती है और वाहेगुरु (ईश्वर) की विजय की बात कही जाती है। भगौती (भगवती) का आश्रय लिया जाता है।
#### गुरु सिमरन (गुरुओं का स्मरण)
**प्रिथम भगौती सिमरि कै गुरु नानक लई धिआइ**: सबसे पहले भगौती (ईश्वर) का स्मरण करते हुए, गुरु नानक को याद करते हैं।
**फिर अंगद गुरु ते अमरदास रामदासै होई सहाय**: इसके बाद, गुरु अंगद, गुरु अमरदास और गुरु रामदास का स्मरण किया जाता है और उनकी सहायता की प्रार्थना की जाती है।
**अरजन हरगोबिंद नो सिमरौ श्री हरिराय**: गुरु अर्जन और गुरु हरगोबिंद का स्मरण किया जाता है और फिर गुरु हरिराय को याद किया जाता है।
**श्री हरिकृषन ध्याइये जिस डिठै सभ दुख जाए**: गुरु हरिकृषन का स्मरण किया जाता है जिनके दर्शन से सभी दुःख दूर हो जाते हैं।
**तेग बहादर सिमरियै घर नौ निध आवै धाय**: गुरु तेग बहादुर का स्मरण किया जाता है, जिनके स्मरण से नौ निधि (संपत्तियां) घर में आती हैं।
**सभ थाईं होए सहाय**: ये सभी गुरु हर जगह सहायता करते हैं।
#### दसवें पातशाह
**दसवां पातशाह गुरु गोविंद साहिब जी ! सभ थाईं होए सहाय**: दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी का स्मरण किया जाता है, जिनकी सहायता हर जगह होती है।
#### गुरु ग्रंथ साहिब का महत्व
**दसां पातशाहियां दी जोत श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी दे पाठ दीदार दा ध्यान धर के बोलो जी वाहेगुरु**:
दसों गुरुओं की ज्योति, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पाठ और दर्शन करते हुए वाहेगुरु का नाम लें।
#### खालसा का स्मरण
**पंजां प्यारेयां, चौहां साहिबज़ादेयां, चालीयां मुक्तेयां... दे ध्यान धर के, खालसा जी ! बोलो जी वाहेगुरु**:
पांच प्यारों, चार साहिबजादों और चालीस मुक्तों (मुक्ति पाने वालों) का स्मरण करते हुए, खालसा (सिख समुदाय) से वाहेगुरु का नाम लेने की प्रार्थना की जाती है।
#### बलिदानों का स्मरण
**जिनां सिंहा सिंहनियां ने धरम हेत सीस दित्ते, बंद बंद कटाए... खालसा जी ! बोलो जी वाहेगुरु**:
उन सिंहों और सिंहनियों (महिला योद्धाओं) का स्मरण किया जाता है जिन्होंने धर्म के लिए अपने सिर कटवाए, अंग-अंग कटवाए और यातनाएं सहीं।
#### अंत की प्रार्थना
**प्रिथमे सरबत खालसा जी दी अरदास है जी... बोलो जी वाहेगुरु**:
सबसे पहले पूरी खालसा की प्रार्थना की जाती है कि वाहेगुरु का नाम हमेशा स्मरण में रहे और इसके फलस्वरूप सभी सुखी रहें।
**हे अकाल पुरख आपणे पंथ दे सदा सहाई दातार जीओ... खुल दर्शन दीदार ते सेवा संभाल दा दान खालसा जी नूं बख्शो**:
वाहेगुरु से प्रार्थना की जाती है कि ननकाना साहिब और अन्य गुरुद्वारों के दर्शन और सेवा का अवसर खालसा को प्रदान करें।
**अक्खर वाधा घाटा भुल चूक माफ करनी... तेरे भाणे सरबत दा भला**:
वाहेगुरु से प्रार्थना की जाती है कि सभी गलतियों को माफ करें और सभी का कल्याण करें।
अंत में, "वाहेगुरू जी का खालसा, वाहेगुरू जी की फतेह" कहकर प्रार्थना समाप्त की जाती है।
इस प्रकार, यह अरदास सिख धर्म की महत्वपूर्ण प्रार्थनाओं में से एक है, जिसमें गुरुओं और योद्धाओं का स्मरण कर उनकी कृपा और आशीर्वाद की याचना की जाती है।
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